Thursday, September 29, 2016

चक्कर गोल

ऐसा तो नहीं है
की तुम्हारे नहीं होने से
सुबह नहीं होती
दिन शाम में मिलने से मना करता
या धड़कन धीमी पड़ जाती मेरी
झील की ठंडक कम होती
या समंदर नदी को चाहना छोड़ देता

ऐसा कुछ भी नहीं होता
जो बदल सकता मायने जीने के
लेकिन फिर भी
चाहती तो थी मैं, कि तुम रहो



Wednesday, September 7, 2016

नमक क्यारियां

नमक के इस्तेमाल अभी और समझ आने थे
जीने के बीच साँसों में उधारी आनी थी
एक बच्चा, जो सींचता था क्यारियां दिन-रात
उसे खुद को बड़ा करना था
और होना था बेचैन
फिर आना था वो लम्हा
पहली बार गाली देना मुंह से
आप खुद को देते हो..
बड़ा होना जैसे होना शहर



Monday, September 5, 2016

काला

हमें चुनने थे एक दूसरे के लिए ज़ख्म
और उनमे पिरोना था नमक
फिर हमें होना था अमर
और जाना जाना था अपने शक्तिशाली होने के लिए



Wednesday, August 10, 2016

पहुँचना

बचपन और बड़े होने के बीच
एक लट में उलझी पड़ी हूँ मैं

कभी इधर कभी उधर
खींचती, टूटती हूँ
तो कभी बस खूबसूरती बढ़ाती हूँ
बस तय कर पाना मुश्किल है थोड़ा

शहर, गांव, कस्बे, आसमान और समंदर
सब लांघ जाऊँ मगर
पहुँचूँ कहाँ, गर मालूम हो बस| 



आधी रात

रास्ते पर निकलती है तो
निकलती ही जाती है
सुबह से शाम
शाम से रात
और यूँ आधी रात के अंधेरे में
वो है बीच इस जंगल के

इससे पहले ढूँढती रही घंटों
टटोल रही थी अलमारी
और फिर छत पर गयी
कुछ ढूँढने से जब मिला नहीं
तो पत्तों को हटाया झाड़ू से
सूखे पत्ते पीपल के
दिए जलाए कुछ और लौट आयी

फिर खोजा कुछ और जगहों पर



बंद होंठ

सारे डर इस लम्हे में आने थे
सबसे मिलना था ऐसे ही
जी हज़ूरी सालों की
एक क़िस्सा ख़त्म

रास्ता अचानक कट गया
बाड़ थी या आवेग
दर्द पीकर ख़त्म किया
और बढ़े आगे
आसमान से चिल्लाया कोई
कूदा और नोंचा गला मेरा
पकड़कर गला एक हाथ से
मैं ताकती रही उस बूँद को बादल में
टपक ही नहीं रही थी
लाल ख़ून, गाढ़ा जैसे कीचड़



Thursday, August 4, 2016

लहर लहर

मैंने लहर को देखा है उठते हुए
लाँघते हुए पहाड़
तो कभी सिमटते हुए ख़ुद ही में
खोते हुए अस्तित्व कभी
तो रचते हुए भी



Saturday, May 21, 2016

शाम

लौटना था या चलना था थोड़ा ओर?
हम डूब चुके थे
हो चुके थे कुछ ऐसे
कि खुद के ही रंगों से डर लगता कभी
तो कभी बस होती हैरानी



जीना

दोस्ती और प्यार में जब फर्क खतम होंगे
और हम जानेंगे खुद को खुद जैसा
जब सांस अटकेगी नहीं और आएगी पूरी
विश्वास होगा जब
बचपना होगा नहीं, मगर होगा
कायनात हमें साथ देखना चाहेगी
हम मिलेंगे



कहाँ

मिटटी खोदकर निकालो एक सपना
आधा मर चुका है जो
आधी सी साँस पर जीता हुआ
उम्मीद करता मरने की
पानी मांगता है मुझसे
तो कभी मौत



Thursday, May 12, 2016

दीवारें कितनी

मेरे होने और ना होने के बीच में
दीवार है एक
मैं तकती हुई उस दीवार को घंटो
समय को धकेलती हूँ आगे की ओर
फिर आगे से लौटना चाहती हूँ
वहीँ पीछेशुरू किया था जहाँ
और यूँ
बीतते जाते हैं युग



कलम

वैसे तो कलम के कई इस्तेमाल थे
कविता कहानी लिखने के अलावा
उससे चित्र बनाए जा सकते थे
उसे लेकर हाथ में यूँही
कभी दबाकर दांतों के बीच
सोचा जा सकता था घंटों
फिर पढ़ते हुए कोई किताब
वहीँ कहीं किसी पन्ने पर रुका जा सकता था
छुपाया जा सकता था कलम को
पन्नों की खुशबू के बीच



शोर

शोर से दबाए ये दुःख
अगर उठ खड़े हुए किसी दिन
तो हम लड़ नहीं पाएंगे इनसे
हमे अपने बच्चों को सीखाना होगा खेलना
और हंसना
और रोना भी
मगर कभी कबार



Wednesday, April 13, 2016

सफ़ेद गुलाबी

टेढ़ी मेढ़ी गलियां हैं। गलियां नहीं रास्ते। टेढ़े मेढ़े नहीं, ऊपर नीचे ! सांप की तरह फैले हुए, एक लम्बा सांप। अनन्त। एक लड़की है, छोटी लड़की, हवा के जैसी । छोटी लड़की ऊपर चढ़ती है। कोई दस कदम, और देखती है मुड़कर नीचे की ओर, हर दस कदम पर। घर छोटा, फिर थोड़ा ओर छोटा फिर थोड़ा ओर ऊपर से ओर  भी छोटा नज़र आता है। जैसे खेल हो गया है एक, हर दस कदम, और घर ओर छोटा। अब जब वो पहुँचने वाली है सबसे ऊपर की चोटी पर, तो नहीं कर पा रही है फैसला की जाए तो कहाँ जाए इसके बाद?



अनगिनत

सभांलकर रखने का मन नहीं होता कुछ
बस बिखर जाए सब
और हो जाए लापता
एक दिन आये लौटकर 
और धीरे से हाथ रखकर कांधे पर पूछे, 
क्या हाल?, सब अच्छा ?



Monday, April 4, 2016

बहाव

एक वक़्त है
जो जम गया है
जिसे ठहरना है वहीँ
न खुशबू है उसकी
न मौजूदगी
एक ठंडक है मुझमें
तुम्हे भाइ नहीं कभी जो
मुझे बचाती रही सदा



राह

राह में मुडोंगे कई बार
देखोगे एक ही राह, बार बार
ढूंढोगे एक चेहरा
मगर जो दिल दुखा है 
वो चेहरे ना आया करते हैं नज़र यूँ



Thursday, March 10, 2016

दर्द में बने रिश्ते लम्बे ठहरतें हैं

हाथों को मुस्कुराते हुए
सपने में ही देखा था उसने
छोटे छोटे हाथ
गला नहीं दबा सकते थे

एक काले दिन में कभी
एक फैंसला जो किया था
वो बीता ही नहीं कभी
बार बार आया वो दिन फिर
और दबाया गला