ऐसा तो नहीं है
की तुम्हारे नहीं होने से
सुबह नहीं होती
दिन शाम में मिलने से मना करता
या धड़कन धीमी पड़ जाती मेरी
झील की ठंडक कम होती
या समंदर नदी को चाहना छोड़ देता
ऐसा कुछ भी नहीं होता
जो बदल सकता मायने जीने के
लेकिन फिर भी
चाहती तो थी मैं, कि तुम रहो