डर और हंसी के बीच एक दीवार थी
मैं उसी दीवार में रहना चाहती थी
लेकिन उस दीवार से दोस्ती नहीं हो सकती थी
दीवारों से दोस्ती नहीं होती
मुझे दरवाज़े पसंद थे
बड़े खुले रंगीन दरवाज़े
जब सांस घुटने लगती थी
मैं खिड़की पर जाकर बैठती थी
वहीं, खिड़की पर बैठे ही
देखा था मैंने तुम्हें
पहली बार
सामने की सड़क से गुज़रे तुम
सफेद रंग ओढ़े हुए