दुःख सारे दुनिया में पैदा नहीं होते
कुछ दुःख आपके भीतर ही जन्म लेते हैं
जैसे 13 महीने पहले दिवार पर टांगी कोई तस्वीर जब आप उतारते हो
तो जो दुःख आपके सीने से होकर पेट तक पहुँचता है
उसे आप दुनियावी दुःख नहीं कह सकते
उसके सारे सिरे आपके भीतर हैं
उसका अस्तित्व आपमें ही रचा गया है