Wednesday, January 28, 2015

खाली हो जाना

हम सब खाली हो जाना चाहते थे 
या भर जाना चाहते थे इतना
कि कोई जगह ना बचे अब और कुछ भरने के लिए 
लेकिन हमारे पास ना आने का रास्ते बंद करने के लिए कोई हथियार था 
और ना जाने का दरवाज़ा बंद हो सकता था 
हम तड़पते थे तो क्रूर लगते थे इतने 
कि खुद को मौत कि सजा सुनाना मुमकिन होता 
तो हम सब शायद कई कई बार वो कर चुके होते



गर्म रेत में सांस लेना और देखना चाँद को उगते हुए

उधार सी मांगी इन साँसों को खर्च करने में डर लगता है जैसे
आसमान से कुछ टपकता है
गिरता है आँख में मेरी
पसीजता है रूह को ऐसे कि
अब ज़मीन से मोहब्बत होती है गहरी

मिट्टी जो खाई है बचपन में
पेट में नहीं, दिमाग में बस गई है
गुलाब की खुशबू बालों में है
पाँव में है एक आवाज़
गुनगुनाहट सी जैसे