Wednesday, January 28, 2015

खाली हो जाना

हम सब खाली हो जाना चाहते थे 
या भर जाना चाहते थे इतना
कि कोई जगह ना बचे अब और कुछ भरने के लिए 
लेकिन हमारे पास ना आने का रास्ते बंद करने के लिए कोई हथियार था 
और ना जाने का दरवाज़ा बंद हो सकता था 
हम तड़पते थे तो क्रूर लगते थे इतने 
कि खुद को मौत कि सजा सुनाना मुमकिन होता 
तो हम सब शायद कई कई बार वो कर चुके होते

लेकिन इस कायर वक़्त में 
हम सब बैठे नहीं थे एक जगह 
और इंतज़ार नहीं कर रहे थे किसी फरिश्ते का 
हम फेंक रहे थे अपना अपना कचरा एक दूसरे पर 
और ऐसे सफाई होनी थी हमारी 
उबलते थे हम 
और भाप बाहर फेंकते थे 
सामने वाले का सांस ले पाना अब इस बात पर टिका था कि उसकी अपनी भाप कितनी है 

कई कई सालों  तक हमने पिया है गरम हवा को

हम नहाते नहीं थे 
खरोंचते थे ख़ुद को 
क्या पता कब कहाँ से कोई रास्ता बन पाता 

चाय हमारी दवा थी 
जो कभी कभी अपना काम कर जाती थी 
और बाकी वक़्त हम एक दूसरे के भरोसे थे 

हम चूड़ियाँ खरीदते थे 
रंग बिरंगी, golden, silver
सब 
और हमे लगता था 
ऐसे खनक पैदा की जा सकती है ज़िंदगी में 
कुछ रंगों में खुशियाँ सच में थी लेकिन 
कुछ दोस्तों के रंगों में 
कुछ मेरे भीतर छुपे रंगों में 
कुछ कामों में 
और कुछ लोगों की मुस्कानों मे 
बच्चों जैसी हंसी और खिलखिलाहटों में उनकी 

हम एक नहीं हो जाना चाहते थे सब 
अलग अलग रहना और साथ देना ही सपना था हमारा हमेशा 
लेकिन हम कमज़ोर थे 
खाली थे इतने 
कि कचरा भी हमारी खाली जगह भरता तो हमें उसकी गर्माहट अच्छी लगती 
और ऐसे हम एक दूसरे से दूर नहीं गए 
बल्कि होते गए कुएं 
या कुआँ 
एक बड़ा कुआँ 
जिसमे पानी नहीं है 
लेकिन जिसे विश्वास है 
कि एक दिन ज़ोरदार बारिश होगी 
इतनी तेज़ कि सब नष्ट होगा उस दिन 
लेकिन उसी दिन, उसी एक दिन में 
हमें पानी मिलेगा 
और हम जीने लगेंगे 
भाप शांत होगी हमारी 
कचरा बह जायेगा 
और हम एक दूसरे को हमारे होने से जानेंगे 
हम जानेंगे की हम सब कितने प्यारे और मासूम लोग हैं 
उन क्रूर चेहरों से अलग 
जिनका क़ब्ज़ा रहा है हम पर सालों साल 

जब दुनिया खत्म होगी
हम सब जन्म लेंगे 
एक साथ 
साथ साथ 
और जीवन तब शुरू होगा।



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