पडोसी थोड़ा ज़्यादा सच्चा रहा हमेशा
दूर की रौशनी ज़्यादा खूबसूरत
हम पिघल रहें हैं ज़रा ज़रा
या जम रहें हैं अंदर
ठंडक हो या गर्मी
पानी की ज़रूरत रहेगी हमेशा
वो जो खुद को जुदा मानता है
नहीं जानता मतलब दूरियों का
वो जो बहता है नसों में
पहाड़ों पर ढूंढता है अपनी जगह