Thursday, September 29, 2016

चक्कर गोल

ऐसा तो नहीं है
की तुम्हारे नहीं होने से
सुबह नहीं होती
दिन शाम में मिलने से मना करता
या धड़कन धीमी पड़ जाती मेरी
झील की ठंडक कम होती
या समंदर नदी को चाहना छोड़ देता

ऐसा कुछ भी नहीं होता
जो बदल सकता मायने जीने के
लेकिन फिर भी
चाहती तो थी मैं, कि तुम रहो



Wednesday, September 7, 2016

नमक क्यारियां

नमक के इस्तेमाल अभी और समझ आने थे
जीने के बीच साँसों में उधारी आनी थी
एक बच्चा, जो सींचता था क्यारियां दिन-रात
उसे खुद को बड़ा करना था
और होना था बेचैन
फिर आना था वो लम्हा
पहली बार गाली देना मुंह से
आप खुद को देते हो..
बड़ा होना जैसे होना शहर



Monday, September 5, 2016

काला

हमें चुनने थे एक दूसरे के लिए ज़ख्म
और उनमे पिरोना था नमक
फिर हमें होना था अमर
और जाना जाना था अपने शक्तिशाली होने के लिए