Monday, September 5, 2016

काला

हमें चुनने थे एक दूसरे के लिए ज़ख्म
और उनमे पिरोना था नमक
फिर हमें होना था अमर
और जाना जाना था अपने शक्तिशाली होने के लिए

तुम समझ गए थे या नहीं
या क्या समझे थे
ये जानना ज़रूरी था मेरे लिए
लेकिन मौका नहीं था

तुम होश और बेहोशी के बीच बैठे हो
बेहोशी, जो गुरुर सी है
होश, जो बेहोशी को बेहतर बना दे
तुम्हे देखूं, या आँखों में
दोनों एक से, मगर अलग

प्यार और बेगारता एक साथ नहीं हो सकती थी
तुम्हारी आँखें इस बात को झूठ साबित करती
डराती मुझे दिन रात
और सवाल खड़े करती

जंगल है एक घना
और खो गए हैं हम वहां
जानवर और शैतान दोनों हमे ढूंढ रहे हैं
और हममे हो सकता है झगड़ा कभी भी

रास्ते दूर छूट गए थे
आसमान अब पास था
उजाला उनींदा और चाँद पड़ोसी गाँव का हुआ
हम दोनों साथ थे और अकेले थे
खुद के साथ नहीं थे कभी

हाथ पकड़ा जब भी हमने 
कोई अँधेरा, जंगल या शैतान
कुछ नही बिगाड़ सकता था
हाथ छूटे तो किसी की ज़रूरत नहीं

अब हम ही सजाने वाले थे धरती को
खुशबू देनी थी पानी को
रंग आसमान को
और चाँद को थोड़ी छुट्टी
रात को हम खूबसूरत बनाते
और सुकून भरते पलों में

हम मगर उलझे थे
आज के होने में
और कल के न होने में


और यूँ हमने बनाया कुछ तो बस एक कुआं 
और भरा अँधेरा उसमे 
फिर किया इंतज़ार की चाँद आए
और हम बैठकर कर पाएं बात उसके हर दाग पर! 



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