Friday, July 24, 2015

बिंदु में

सपने में गुड़िया
हवा पानी आग
हर रंग हर चिराग
डूबे जो एक बार
तिनका मिले न मिले, ठण्ड मिलेगी
बर्फ बनकर पिघल रहे हैं हम
कागज़ के सफ़ेद पन्नो पर
लाल स्याही से लिखा जा रहा है
पुराना सा कोई किस्सा
नए किरदार धोखे में हैं
ख़ुशी बड़ी चीज़ है
संगीत खूबसूरत हमेशा के जैसे



Thursday, July 23, 2015

कोलाहल

दबते दबते धीमा हुआ और फिर निकल गया वो 
दुबकते दुबकते जैसे घर से भाग जाया करते थे आप दोपहरों में
दरवाज़े खटखटाने से आवाज़ आती है 
दिल धड़कने से सन्नाटा जन्म लेता है 
दालों को मिलाने से नया स्वाद पता चलता है 
और रंगों को मिलाने से अंधेरा हो जाता है