Saturday, February 16, 2019

लिखकर

ज़ख्म जिनकी मरम्मत करने में मैं लगी थी
नाज़ुक थे इतने
कि उन्हें बस सहलाया जाना चाहिए था



कैसे

बक्श दो माफ् कर दो मुझे
मैंने पाप किएँ हों जो भी
मैं मान लेती हूँ और भाग जाती हूँ