मेरी ज़मीं ..
Saturday, May 20, 2017
रात
जिस आत्मा को बड़े प्यार से
सहमे कदमो से धीमे धीमे बढ़कर छुआ था उसने
लौटते वक़्त काटता हुआ लौटा
चिंगारियां जैसे बिखरी हों शरीर पर
और कोई छिड़के जा रहा है नमक
,
लगातार
Read more »
Tweet
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)