Thursday, July 23, 2015

कोलाहल

दबते दबते धीमा हुआ और फिर निकल गया वो 
दुबकते दुबकते जैसे घर से भाग जाया करते थे आप दोपहरों में
दरवाज़े खटखटाने से आवाज़ आती है 
दिल धड़कने से सन्नाटा जन्म लेता है 
दालों को मिलाने से नया स्वाद पता चलता है 
और रंगों को मिलाने से अंधेरा हो जाता है 

मुझमें और उनमे कोई रिश्ता नहीं था 
ना कोई बंधन 
लेकिन हम थे 
एक दूसरे में मौजूद  
ऐसे जैसे ना हों  

उसने नज़र घुमायें बिना मुझे देखा तो डर लगा 
उसकी नज़रों में दर्द और गुस्सा एक साथ थे जैसे 
और दोनो एक दूसरे से दूर 
लेकिन एक जगह 

एक लम्हे में हम दो जगह हो सकते थे 
सच कहूँ तो कईं जगहें
उनमे से कुछ जगहें खामोश थीं 
एक औरत आपको खुश नहीं कर सकती  
एक रंग भी नहीं 
एक हवा नहीं 
एक शहर नहीं 

लड़की मासूम है 
उसे अच्छा जीवन देंगे हम
उसका सोना, जागना, खाना, पीना, काम करना, ना करना 
क्या काम करना, कहाँ करना, कैसे करना 
हर चीज़ का ध्यान रखेंगे 
उसे पूजेंगे देवी बनाकर 
पूजाघर रसोई के पास होगा

लड़के को पता है क्या करना है 
उसे संभालना है परिवार को 
और इस्तेमाल करना है अपनी शक्तियों का 
मासूम लड़की की हिफाज़त करनी है 
और समाज में इज़्ज़त कमानी है 
पैसा कमाना है खूब 
ताकि लड़की खुश रह पाए 

सोने के महल में दोनो को रोने की इजाज़त ना मिले बस
रोशनी हो इतनी की चमकदार हो हर चीज़ 
एक बराबर हो सब 
ना उपर ना नीचे 
रंगों से परे 
जीवन से परे 
पानी ना हो आसपास 
सांस ना आए 
ठोस रहे सब 
कुछ पिघले ना
मिल ना जाए एक दूसरे में कहीं 

हम चुन लेंगे एक दुनिया ऐसी 
जहां हर चीज़ की कीमत होगी 
आँसूं जहां व्यर्थ नहीं जायेंगे 
और हंसी सबकी एक सी होगी 
हम हँसेंगे एक साथ 
ठहाके लगेंगे समूहों में 
और हम सब एक जैसे दिखेंगे 
कंप्यूटर lab में रखें ढेरों computers की तरह 
सब एक से 
सब perfect 

दुनिया खूबसूरत होगी 
दिन और रात, हर वक़्त सूरज चमकेगा
चांद की ज़रूरत नहीं होगी 
सांसे खूब आयेंगी 
मौतें कम होंगी 
खूशबू कोई ना होगी दूर दूर तक 
एक रफ़्तार से ज़िंदगी चलेगी 
और सब अच्छा होगा 

ऐसा लगता है आपको|



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