Friday, July 24, 2015

बिंदु में

सपने में गुड़िया
हवा पानी आग
हर रंग हर चिराग
डूबे जो एक बार
तिनका मिले न मिले, ठण्ड मिलेगी
बर्फ बनकर पिघल रहे हैं हम
कागज़ के सफ़ेद पन्नो पर
लाल स्याही से लिखा जा रहा है
पुराना सा कोई किस्सा
नए किरदार धोखे में हैं
ख़ुशी बड़ी चीज़ है
संगीत खूबसूरत हमेशा के जैसे


हम हारने और डूबने के बीच में हैं
हवा आये तो फैंसला हो कुछ

धोखे जो दिए हैं खुद को
किसी और से उसका हिसाब किस तरह से लें
किससे कैसे करेंगे बात जुबां जाने पर

गुज़रते गुज़रते कुछ लम्हें फिसल जाते थे
फिसलकर गिरे हुए इन लम्हों में खुशबू निखरी सी है

बची हुई आज़ाद पड़ी चीज़ें
सबसे खूबसूरत थी हमेशा ।



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