Tuesday, March 24, 2015

डर और हंसी

डर और हंसी के बीच एक दीवार थी 
मैं उसी दीवार में रहना चाहती थी 
लेकिन उस दीवार से दोस्ती नहीं हो सकती थी 
दीवारों से दोस्ती नहीं होती 

मुझे दरवाज़े पसंद थे 
बड़े खुले रंगीन दरवाज़े 
जब सांस घुटने लगती थी 
मैं खिड़की पर जाकर बैठती थी 
वहीं, खिड़की पर बैठे ही 
देखा था मैंने तुम्हें 
पहली बार 
सामने की सड़क से गुज़रे तुम 
सफेद रंग ओढ़े हुए

मैने ज़िंदगी को दोस्त नहीं बनाया कभी 
देखा उसे दूर से 
प्यार किया 
एक तरफा प्यार 

मुश्किलों में हम दूसरों को कम 
खुद को जानते हैं ज़्यादा 

खिड़की दीवार छत
फ़र्श या पर्दे घर के 
सब बताते हैं हमारे बारे में एक कहानी 
अनकही अनजानी कहानी 
जिसे हम नहीं जानते 
जिसे हमने नहीं देखा 
लेकिन जो हमारी है 
जिसमें हम हैं 
बस हम 

रंग बताते हैं हमे 
कुएं के बाहर की एक दुनिया 
आसमान के उपर का एक आसमान 
और ज़मीन के नीचे बिछी एक चमकदार चादर के बारे में 

हम जानते हैं ख़ुद को बूंद बूंद 
उन लोगों की आँखों में 
जो प्यार करते हैं हमे 
हम जीते और मरते रहते हैं उनकी बांहों में 
उनके शब्दों में 
उनके भावों में 
और वो जन्म देते हैं हमे 
कभी हर रोज़ 
कभी महीनो में 
और कभी हम जन्म से पहले ही मर जाते हैं 

काग़ज़ से पेड़ की खुशबू नहीं आती 
लकड़ी की आती है 
और लकड़ी से पेड़ की 
पेड़ से शायद पक्षियों की आती होगी 
या घोंसलों की 
पेड़ का सबसे प्यारा इस्तेमाल 
घर बनाकर ही हो सकता है शायद 
पेड़ को पक्षी ज़्यादा पसंद होंगे या उनके पंख ?
पेड़ उड़ नहीं सकते थे 
उन्हे बस हुनर था 
दृढ़ता से टिके रहने का 
और ऐसे अलग अलग पेड़ों ने कई उदाहरण पेश किए
इंसान को मजबूत और शक्तिशाली होने में मदद की 
उसे दी कई कहानियाँकिस्से 
लेकिन पेड़ आसमान को बस देख सकता था 
छू पाना सपना था 

आसमान में रहने वालों के लिए ज़मीन उनका आसमान थी।



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