दोस्ती और प्यार में जब फर्क खतम होंगे
और हम जानेंगे खुद को खुद जैसा
जब सांस अटकेगी नहीं और आएगी पूरी
विश्वास होगा जब
बचपना होगा नहीं, मगर होगा
कायनात हमें साथ देखना चाहेगी
हम मिलेंगे
उस लड़की के नाम
या लड़का
जिसने प्यार किया ऐसे
जैसे कोई नहीं कर पाया
मगर ये किस्मत या वक़्त
या ज़िद्द बस
की साथ रहना न हो पाया
एक मरुस्थल
एक ख्वाब
एक उपस्थिति
एक तू
और मैं एक
हम कहाँ जान पाते हैं
मतलब एक होने का
नदियां बहतीं हैं
हम बहते हैं
मगर ठहरते हैं
पहाड़ टिका है
ऊंचाई का डर है उसे
और मुझे लांघने हैं पर्वत
बचपन में सब मुमकिन था
बड़े होते होते बचपन भी बड़ा हुआ
मैं मुस्कुराऊँ तो मुस्कानें छोटी
और रोना चाहूँ
तो आंसूओं की भारी कमी
चलो बस जीते हैं।
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