Thursday, April 28, 2022

घुटन के नाम

घुटन के कईं नाम थे
एक जैसे सुबह
एक जैसे सोने की कोशिश

प्यार को खूंटी बनाकर
गले से टांगा मैंने उसपर खुद को
और रोना न आया जब कोसा काफी
माफ़ी मांगना खुद को माफ़ कर पाना नहीं था
कलेजा चीर कर बस मरा जा सकता था
साबित करना कुछ भी जैसे हंसना खुद पर


एक एक दिन करके महीने बीतने लगे
हम उम्मीद में किसी उम्मीद के
नाउम्मीद होते गए खूब

एक दिन अचानक जैसे उछला सब
की फुर्सत इतनी भी नहीं की देख पाएं की क्या
और चेहरे पर मेरे बस दाग थे
बिजली की खूबसूरती मुझे डराना छोड़ चुकी थी
दिल में अब बस पथ्थर थे
प्यार को हम गाली मान चुके थे
गाली को हम जैसे मानते आशीर्वाद
ये क्या हुआ था नहीं मालूम मुझे
ये क्यों हुआ था, मैंने सोचा बहुत
मगर जवाब कहाँ सारे खो गए थे,
मैंने सोचा ही नहीं की किधर, की कब से

तुमसे मिलना मिलना नहीं था
मिलना तो हुआ था कईं बार मगर
जैसे देखना आत्मा में एक दिन और जानना एक किस्सा
जिसे सुना था कभी किसी और जन्म में हमने
शायद साथ में
तुमसे मिलना दरअसल हुआ उसी दिन,
या रात
कुछ याद है भी या नहीं
जो याद है वो सही है भी या नहीं

किस्से हम गड़ने लगे थे ऐसे
जैसे कसाई ने गड़ा हो कोई मुर्दा
की ज़िंदा को मारना इंसान को मारना था अगर
तो लाश को मारना शायद खुद को

तुम कुछ भी पूछोगे फ़िलहाल मुझसे
जवाब बस एक
मैं भूल नहीं पा रही हूँ कुछ
और याद भी नहीं कुछ ठीक से


एक बंद कमरे में कहीं सन्नाटा है गहरा  
और मैं दबोचकर गला अपना
चाह रही रोकना सभी आवाज़ों को

आवाज़ें कहीं हैं ही नहीं
जैसे उम्मीद कहीं नहीं है
एक वक़्त जो याद है मुझे
वो वक़्त भी कहीं नहीं है |



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